संतोष कुमार सुमन। पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन होने वाला है। पाकिस्तान में इमरान सरकार गिर चुकी है। काफी हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद आखिरकार इमरान खान को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। अब पाकिस्तान में नए प्रधानमंत्री सत्ता की कुर्सी पर काबिज होंगे। पाकिस्तान की सत्ता पर इमरान खान 3 साल 7 महीने तक काबिज रहे। नए प्रधानमंत्री के रूप में शाहबाज शरीफ शपथ लेने वाले हैं।
पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है। दक्षिण एशिया में वैसे तो पहले से ही पाकिस्तान के संबंध अपने पड़ोसियों से ठीक नहीं रहे हैं लेकिन क्या सत्ता परिवर्तन के बाद इसमें कोई बदलाव आएगा या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। ऐसे में पाकिस्तान में होने वाले इस सत्ता परिवर्तन का भारत सहित चीन और अफगानिस्तान पर क्या असर होगा? आइए जानते हैं…
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भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते
भारत की बात करें तो इमरान सरकार में भारत के साथ रिश्ते कुछ खास नहीं रहे हैं। कई वर्षों से भारत के साथ पाकिस्तान का औपचारिक राजनयिक वार्ता बंद है। कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियाँ भी सीमित हैं। ऐसे में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत के साथ संबंधों पर क्या असर होगा यह तो कहना जल्दबाजी होगी लेकिन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने हाल ही में कहा था कि अगर भारत सहमत होता है तो उनका देश कश्मीर पर आगे बढ़ने को तैयार है।
नवाज शरीफ भारत के प्रति नरम रूख रखने वाले नेता माने जाते रहे हैं। लेकिन क्या शाहबाज शरीफ जो कि उनके छोटे भाई हैं, क्या वह अपने भाई की राह पर चलेंगे? यदि ऐसा होता है तो भारत के साथ रिश्तों में सुधार आ सकता है। लंबे समय से इस वक्त में सीमा पर संघर्ष विराम है। ऐसे में हो सकता है कि पाकिस्तानी सेना शाहबाज सरकार बनने पर इसे आगे बढ़ाने का दवाब डाले।
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चीन के साथ पाकिस्तान का संबंध
चीन की बात करें तो इस मामले में चीन ने पहले से ही तैयारी कर रखी है। इसलिए इमरान की सत्ता से बेदखली का असर चीन पर कम होता दिख रहा है। चीन ने इमरान खान सरकार में ही 60 अरब डॉलर की लागत से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा का विकास तेजी से किया। लेकिन चीन ने यहां पर पाकिस्तान के दोनों राजनीतिक दलों के साथ इस योजना पर काम किया।
चीन का इमरान खान के साथ-साथ शाहबाज शरीफ के साथ भी रिश्ते ठीक हैं। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा योजना पर इमरान के साथ-साथ शाहबाज शरीफ के साथ भी चीन ने काम किया है। पंजाब के पूर्वी हिस्से में शाहबाज शरीफ ने भी चीन के साथ कई समझौते किए हैं।
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अफगानिस्तान के साथ पाक के रिश्ते
अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान की दूरियां हाल के दिनों में बढ़ी हैं। पाकिस्तानी सैन्य खुफिया एजेंसी और इस्लामी आतंकवादी तालिबान के बीच संबंध कमजोर हुए हैं। तालिबान और पाकिस्तानी सेना के बीच तनाव बढ़ा है। दरअसल पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करे। पाकिस्तान को डर है कि अगर ये समूह बढ़ गए तो वह पाकिस्तान में हिंसा फैला सकते हैं।
अमेरिका पर होगा असर?
अमेरिका को इस सत्ता परिवर्तन से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक, अभी अमेरिका की नजर यूक्रेन युद्ध पर है। अमेरिका के पास पाकिस्तान के अलावा कई मुद्दे हैं। अमेरिका सिर्फ तभी इस तरफ अपना ध्यान लगाता है जब भारत-पाकिस्तान के बीच किसी मुद्दे पर तनाव बढ़ता है। अमेरिका अब पाकिस्तान की जगह भारत को ज्यादा तव्वजो देने लगा है। चीन को साधने में पाकिस्तान के बजाय भारत अमेरिका के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान कभी भी चीन के खिलाफ मुखर नहीं हो सकता है, क्योंकि पाकिस्तान चीन के अरबों डॉलर कर्ज तले दबा है। ऐसे में पाकिस्तान नहीं चाहेगा कि वह चीन को किसी भी हालत में नाराज करे।
- यह लेखक के निजी विचार हैं।
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