आज एक पावन दिवस है जिसे हम “मातृ दिवस” कहते हैं। हम सब इस दिन को बहुत ही आदर के साथ हर वर्ष 8 मई को मनाते हैं। इस दिन की जितनी भी बाते करे वो सब कम ही पड़ जाती हैं, शायद इस दिवस के लिए विश्वभर की किताबों में मौजूद सारे शब्द इसकी बराबरी कभी भी न कर पाएंगे। ऐसे में कहते है की “मां की एक दुआ जिंदगी बदल देती है.. खुद रोएगी मगर सबको हसा देगी, कहते है कि कभी भी भूलकर मां को मत रुलाना, हमारी एक गलती पूरा अर्ष हिला देगी”! बता दें हम सब एक भ्रूण से निकलकर मां की कोख में नौ महीने बिताकर अंत में हमने इस दुनिया की असीम सौंदर्य के दर्शन करने का हम सबने सौभाग्य प्राप्त किया हैं। धन्य है वो हर मां जिसने आज मुझे और हम सबको एक नई दुनिया के दर्शन करवाएं,साथ ही अपनी आंचल से जोड़कर हमारी उंगली थाम कर संस्कार दिया, जीने का हर तौर तरीका सिखाया। आज उन सभी माताओं को दिल से आभार वयक्त करता हूं, चाहें वो मेरी धरती मां हो या फिर मेरी स्वयं-जननी। मां की ममता इतनी गहरी है की अगर हम उसपर नजर डालें तो हम सभी को असीम सागर के दर्शन हो जाएंगे।
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बदलते कलयुग में मां-बच्चों का प्यार
विश्वभर में बदलते तौर तरीको ने समाज में एक अलग तरह की संस्कारों को जन्म दे दिया हैं। आज में उन सभी आदर्शों की बात कर रहा हूं जो आजकल के बच्चें भूलते जा रहे है। आज मैं बदलते वक्त के साथ आप सभी के नेत्रों को उस ओर केंद्रित करना चाहता हूं, जहां मां का प्यार बस बचपन तक ही सीमट कर रह चुका हैं। जिसके कारण कलयुग में हम सब ने मां का अर्थ “वृद्ध आश्रम” कर डाला हैं। जो हमारे समाज के लिए एक कालिख ही हैं। इस मुद्दे को उठाने के पीछे का मेरा तात्पर्य बिल्कुल सीधा है की जिस मां ने अपने बच्चे को बड़ा किया, हंसना,चलना, बोलना सिखाया उसके साथ ही अपनी सारे सुखों को अपनी ममता से जीवन भर अपने बच्चों पर लूटा देनी वाली मां को हमने अपने कुछ निजी स्वार्थ के कारण उस मां को “वृद्ध आश्रम” के बोझ तले ढकेल दिया हैं। आज ये “मातृ दिवस” तभी सफल हो पाएगा जब हम सब मिलकर पूरे विश्वभर में मौजूद सभी “वृद्ध आश्रमों” पर ताला लगा देंगे। उसके साथ ही हम सभी को एक साथ कहना होगा “Say Lockdown To Every Old Age Home“.
मां के रूप अनेक हैं चाहें स्वयं हमारी धरती मां ही क्यूं ना हो, जब अपने बच्चों को सरहद पर खड़ा अकेले पाती है तो अपने ममता का हाथ उनके सरों पर सहरा देती हैं। ऐसी मां की ममता बहुत भाग से ही नसीब होती हैं। दुनिया में मां को ही सबसे बड़ा योद्धा माना जाता है, कहते है अगर कोई भी जंग जीत जाए तो उसे योद्धा समझा जाता हैं, लेकिन मां तो एक ऐसी योद्धा है जो हरपल अपने बच्चों के लिए जंग लड़ती हैं और हमेशा ही जीत जाती है।
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